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शनिवार, 8 मई 2021

दुख

इस शून्य क्षितिज  से हर पल,
हर रोज पुकारें आती हैं ।
यह दुख भी ऐसी चीज है क्या,
दुखियारों को ही सताती है ।।

आंखों से अंशू बहते हैं ,
जाने क्या क्या कहते हैं ।
इस मन के दुखद भावों को,
ये अंशू प्रकट कर देते हैं ।।

भव सागर के तट पर ,
दुख की लहरें आती है ।
गरज गरज कर कहती ,
कुछ दुखद पुरानी बातें ।

क्यों छलक रहा है दुख मेरा,
इस जग की नीरस पलकों पे,
क्यो उलझ रहा है दुख मेरा,
संध्या की सघन अलकों पे ।।

मन मे तूफ़ान से उठता है ,
एक ऐसी बात को कहता है ,
नर दुख में ऐसे क्यो रहता है ,
ईश्वर से क्या कुछ कहता है ।।

जिंदगी एक क्रिकेट खेल

रन रन बनाने की लगी होड़ । जिंदगी एक है क्रिकेट खेल ।। रन बनाने के चक्कर मे, एक दूसरे के टक्कर में, राण दौड़े हम बारम्बार, मील असफल...