लेकिन टूट जाते हैं ,
जिस डाली को पकड़ते हैं,
वो डाली टूट जाती है ।
ये सपने सच नहीं होते,
करे भरोसा इनका क्या,
ये सपने नींद में करके,
कभी भी टूट सकते हैं ।
हमती हालात ऐसी है,
न जीते हैं न मरते हैं,
गमों के सिर में रहकरके,
उठ उठकर जीते हैं ।
जिंदगी का भरोसा क्या,
कहाँ से कहीं को जाती है,
किस्मत का ये खेल कैसा,
किसे कहाँ ले जाती है ।
दुनिया का जो विधाता जो,
जिसे रब कहते हैं ,
दिए उसने खुशी या गम,
हँस के सहते हैं ।
जिंदगी के तुफानो से,
सदा ही लड़ते हैं,
वक़्त की तेज धार में,
सभी जन बहते हैं ।
.......SangJay.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें