शनिवार, 8 मई 2021

दो शब्द

आंखे सपने सजाती हैं,
लेकिन टूट जाते हैं  ,
जिस डाली को पकड़ते हैं,
वो डाली टूट जाती है ।

ये सपने सच नहीं होते,
करे भरोसा इनका क्या,
ये सपने नींद में करके,
कभी भी टूट सकते हैं ।

हमती हालात ऐसी है,
न जीते हैं न मरते हैं,
गमों के सिर में रहकरके,
उठ उठकर जीते हैं ।

जिंदगी का भरोसा क्या,
कहाँ से कहीं को जाती है,
किस्मत का ये खेल कैसा,
किसे कहाँ ले जाती है ।

दुनिया का जो विधाता जो,
जिसे  रब कहते हैं ,
दिए उसने खुशी या गम,
हँस के सहते हैं ।

जिंदगी के तुफानो से,
सदा ही लड़ते हैं,
वक़्त की तेज धार में,
सभी जन बहते हैं ।

.......SangJay.

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