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शुक्रवार, 7 मई 2021

हार से जीत की ओर

 



ये जीवन एक कहानी ,

कुछ जानी कुछ न जानी 

अविरल चलना ही होगा,

मंजिल तुझको गर पाना ।

   

 

आजाद परिंदे हो तुम,

उड़ सकते उच्च गगन तक,

मन हार कभी न मानो,

लड़ते जाओ अंतिम तक ।।


 

जीवन आशाओ का खेल,

अरे तुम जाना कभी न भूल।

आज जो दुखद तेरा है सुन,

कल खिले खुशी का फूल ।


 

पूरा प्रयास करने पर,

गर मीले सफलता  न तुझको,

हार से सीखो , बनाओ,

जीत का कारण उसको  ।।


 

इतिहास बदल सकते हो,

भूगोल बदल सकते हो,

मम बात हृदय तुम धरो,

हालात बदल सकते हो ।


........Sangjay

आज से तू मेरी.

  



आज से तुम मेरी मैं तेरा होगया।

देखा जब से तुझे बावरा हो गया।

मैने सोंचा न था,मैंने जाना न था।

आपके हुश्न का जब दीदार होगया।

कण कण में समाई है सूरत तेरी।

मौत के बाद भी रहे ये दोस्ती।

मौज का नाम क्या आज जाना सनम

तेरी राहों में दिल को बिछाना सनम

हो जिंदगी कब तलक नही परवाह है

मौत का डर खतम बस तेरी चाह है।

कृष्ण दीवानी मीरा ने जब जाना है।

नाची रे नाची मीरा जग जाना है।

भूली कान्हा को राम रतन धनपायो।

हर पल हर छण मस्त मगन हो गायो।

अनपढ़ को भी विद्वान बनादे ऐसी माया।

प्रेम के ढाई आखर मस्त कबीरा गाया।

साखी सबद रमैनी दास कबीरा दे गयो।

पढ़े लिखे भी न समझे ऐसी बात बतायो।

आज से तुम मेरी मैं तेरा होगया।

देखा जब से तुझे बावरा हो गया।

मैने सोंचा न था,मैंने जाना न था।

आपके हुश्न का जब दीदार होगया।

कण कण में समाई है सूरत तेरी।

मौत के बाद भी रहे ये दोस्ती।

मौज का नाम क्या आज जाना सनम

तेरी राहों में दिल को बिछाना सनम

हो जिंदगी कब तलक नही परवाह है

मौत का डर खतम बस तेरी चाह है।

कृष्ण दीवानी मीरा ने जब जाना है।

नाची रे नाची मीरा जग जाना है।

भूली कान्हा को राम रतन धनपायो।

हर पल हर छण मस्त मगन हो गायो।

अनपढ़ को भी विद्वान बनादे ऐसी माया।

प्रेम के ढाई आखर मस्त कबीरा गाया।

साखी सबद रमैनी दास कबीरा दे गयो।

पढ़े लिखे भी न समझे ऐसी बात बतायो।

गरीबी



 

 गरीब का जीवन, 

कैसा बंधन जो बांधता है।

लाचारी की जंजीरो से, 

वरना कौन है साहब ,

जो खुद को बदनसीब बनाता है।

दुख भारी आह सुनता है,

जब गम भरे रेन दिन आते,

पर दुख दूर कभी न होते,

हरपल हर छण वो अश्रु बहते।

ईश्वर को आह सुनते,

गम भरी निशा का अंत होगा कब,

इंतजार वो करते,

ख्वाबो के महल सजाते,

ख्वाबो में लुत्फ उठाते,

हक़ीक़त का क्या वजूद,

गम ही गम जब आते। 

किया हमेशा मदद ,

मजबूर की वो जनता है,

गरीबी का दर्द,

परंतु जिसके पैर न फटी बिवाई,

सो का जाने पीर पराई,

बात यह मैं कहता हूं। 

लाचारी कैसी ह उनकी,

मदद करे भगवान दुवा ,

मैं करता हूं ।।


.....sangjay

मानवता


 


 निज स्वार्थ के भाव,

कितना अजीबोगरीब होता है।

एक बात से जीवन का 

रिश्ता करीब होता है।

काश दूरिया न होती ,

अपनो की अपनो के बीच मे,

यही बात खलती है हर पल,

क्यो गैर हो जाते हैं वो रिश्ते,

जो अपने बिल्कुल खाश होते हैं।

दाग वही देगा जिसपे विश्वाश होगा,

मगर बुरे वक्त में जो साथ दे,

रिश्ते वही सच्चे होते हैं।

दिल की गहराई में प्रेम के ,

समंदर है अपनो के लिये,

पर जब स्वार्थ के भाव ,

के रिश्तों को कुचल दे पैरो में,

तो फिर इंसानियत और मानवता,

का गला घोंट दिया क्यों,

गैरो के खातिर,

अपने पराये हुए, गैर अपने हुए,

क्या यही मानवता है, 

नही , स्वार्थियत है और कुछ नहीं।

जिये जो गैरो के खातिर ,

वो अपनो का भला ही करेगा,

यही सची मानवता है और कुछ नहीं ।।


......sangjay

आओ हम सब एक बने.


 


आओ हम सब एक बने,
नेक बने जीवन में ।
कुछ करके एक मिसाल बने,
नफरत दूर करे जीवन में ।
  वैर भाव को पास न आने देंगे,
उच्च आदर्श अपनाएंगे।
सर्व धर्म सम भाव जगाकर,
जीवन को स्वर्ग बनायेगे ।
 दया नमृता को अपनाकर,
परहित सदा करेंगे।
दया धर्म का मूल समझकर,
जीवन सार्थक बनायेगे ।
विश्व बंधुत्व विरादरी वाली,
नीति को सदा निभाते हैं ।
हिंदी है हम वतन हमारा ,
हिंदुस्तानी कहलाते हैं।
हमारी संस्कृति और सभ्यता का,
अखिल विश्व मे डंका गूँजेगा।
झूठ नहीं सच कहता हूं मैं ।
भारत विश्वगुरु बन जायेगा ।।

......sangjaY

गुरुवार, 6 मई 2021

फूलों के संग जीवन के रंग




 फूलों के संग जीवन के रंग,

उदास जिंदगी है हो जैसे बेरंग।

बदनाम तो पुष्प है साहब,

की कंटक तकलीफ देते हैं

झांक कर देखो खुद के अंदर,

वक्तव्य हमारे चुभते हैं।

पुष्प की कोमलता देखो,

देखी उसकी सुंदरता ।

टूटकर भी आपके सृंगार हित,

गले का हार है बनता ।

रहे वो बाग में या फिर हार में,

 खुसबू छोड़ता नही ।

सवार जाएगी जिंदगी तेरी,

गर कुछ सीख ले तू पुष्प से कही।।


.......sangjay

दो पल जीवन के.

 



दो पल है जीवन के 

मिलजुल कर इसको जीना।

आजादी है सबको प्यारी  

क्यों है इतनी बेकारी।  

तकरार यहां क्यों करना

छणभंगुरता हित लड़ना।

क्यो मानव उलझ गया है

निज जाल में फसता गया है।

एकता के साथ जीना,

मानवता का मूल है।

अपनो के खातिर गर हारना क़ुबूल है।

सबका भला करोगे ,

तब खुद का भला भी होगा।

लाचारों की मदद सम ,

और कुछ भी भला न होगा।

परहित प्रकृति में देखो,

कण कण बता रहा है। 

खामी कभी न देखो 

खूबी तलाशना सीखो ।

 काम आए न गर मानवता हित,

जीवन यहाँ बेकार है ।

परहित सरिस हो जीवन,

सबसे बड़ा आधार है।

......Sangjay



जिंदगी एक क्रिकेट खेल

रन रन बनाने की लगी होड़ । जिंदगी एक है क्रिकेट खेल ।। रन बनाने के चक्कर मे, एक दूसरे के टक्कर में, राण दौड़े हम बारम्बार, मील असफल...