शुक्रवार, 7 मई 2021

मानवता


 


 निज स्वार्थ के भाव,

कितना अजीबोगरीब होता है।

एक बात से जीवन का 

रिश्ता करीब होता है।

काश दूरिया न होती ,

अपनो की अपनो के बीच मे,

यही बात खलती है हर पल,

क्यो गैर हो जाते हैं वो रिश्ते,

जो अपने बिल्कुल खाश होते हैं।

दाग वही देगा जिसपे विश्वाश होगा,

मगर बुरे वक्त में जो साथ दे,

रिश्ते वही सच्चे होते हैं।

दिल की गहराई में प्रेम के ,

समंदर है अपनो के लिये,

पर जब स्वार्थ के भाव ,

के रिश्तों को कुचल दे पैरो में,

तो फिर इंसानियत और मानवता,

का गला घोंट दिया क्यों,

गैरो के खातिर,

अपने पराये हुए, गैर अपने हुए,

क्या यही मानवता है, 

नही , स्वार्थियत है और कुछ नहीं।

जिये जो गैरो के खातिर ,

वो अपनो का भला ही करेगा,

यही सची मानवता है और कुछ नहीं ।।


......sangjay

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